ओडिशा अब तक भले ही चक्रवात फोनी से पूरी तरह नहीं उबर पाया हो लेकिन इस राज्य में सालाना जगन्नाथ रथयात्रा की तैयारी पूरी कर ली है | रथयात्रा बृहस्पतिवार 4 जुलाई 2019 को पवित्र शहर पुरी से शुरू होगी | एक सप्ताह चलने वाले इस महोत्सव के दौरान पुरी में करीब दो लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है जो पिछले साल से 30 प्रतिशत से ज्यादा है | आमतौर महोत्सव के दौरान राज्य में करीब 1.5 लाख भक्तगण आते हैं |
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा प्रत्येक वर्ष आषाढ़ शुक्ल की द्वितीया को जगन्नाथपुरी से शुरू होती है | चूंकि यह रथयात्रा बहुत ही भव्य एवं विशाल होती है, इसलिए इसे देखने के लिए भारी भीड़ जमा होती है |
सात दिनों तक मौसी के घर रहते है भगवान जगन्नाथ
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गुंडिचा मंदिर को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है | वर्ष में एक बार रथयात्रा के दौरान भगवान अपने भाई बहनों के साथ जगन्नाथ मंदिर से निकलकर गुंडिचा मंदिर में रहने के लिए आते हैं | गुंडिचा मंदिर यानि भगवान जगन्नाथ की मौसी के घर उनका खूब आदर सत्कार किया जाता है | भगवान यहां पूरे सात दिनों तक रहते हैं |
इस दौरान उन्हें विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों एवं फलों का भोग लगाया जाता है | भगवान अच्छे अच्छे पकवान खाकर बीमार पड़ जाते हैं | फिर उन्हें ठीक करने के लिए पथ्य भोग लगाया जाता है | गुंडिचा मंदिर में हफ्ते भर भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों को दर्शन देते हैं जिसे आड़प दर्शन कहा जाता है | इस दौरान गजामूंग, नारियल, लाई और मालपुए प्रसाद स्वरुप बांटे जाते है जिसे महाप्रसाद कहा जाता है | एक हफ्ते बाद भगवान जगन्नाथ अपने घर अर्थात् जगन्नाथ मंदिर में वापस चले जाते हैं |
कैसे निकाली जाती है जगन्नाथ रथयात्रा
भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बालभद्र एवं बहन सुभद्रा को जगन्नाथ मंदिर से रथ में बैठाकर गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है | कहा जाता है कि गुंडिचा मंदिर भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर है | भगवान जगन्नाथ का रथ सबसे पीछे होता है, इस रथ पर सोने के हत्थे वाला झाड़ू लगाकर रथयात्रा प्रारंभ की जाती है | इस दौरान पारंपरिक वाद्य यंत्रों की थाप के बीच सैकड़ों लोग तीन विशाल रथों को खींचते हैं |
सबसे पहले भगवान जगन्नाथ के भाई बालभद्र का रथ प्रस्थान करता है उसके बाद बहन सुभद्रा का रथ एवं सबसे अंत में भगवान जगन्नाथ का रथ निकाला जाता है | माना जाता है कि रथ खींचना बहुत शुभ होता है और रथ खींचने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है | नगर भ्रमण के बाद शाम को तीनों रथों को गुंडिचा मंदिर पहुंचाया जाता है और अगले दिन भगवान रथ से उतरकर मंदिर में प्रवेश करते है और वहां सात दिनों तक रहते हैं |